shiv Puran ki kahaniya in Hindi | भगवान शिव की कहानी | story In hindi Online

Shiv Puran Ki Kahani In Hindi

Shiv Puran Ki Kahani In Hindi

Shiv Puran Ki Kahani In Hindi



श्री शिव पुराण महात्मा सात वां विशेष रूप से वर्णन कीजिए प्रभु तथा साधु पुरुष किस प्रकार अपने काम क्रोध आदि मानसिक विचारों का निवारण करते हैं इस घर कार्यकाल में जीत प्राणा असंभव हो गए हैं प्रसाधन बतायी जो कल्याणकारी वस्तुओं में सबसे उत्कृष्ट एवं उपाय सात बार ऐसा साधन हों जिसके अनुसार शीघ्र ही अंतःकरण की विशेष वृद्धि हो जाएगी सदा के लिए शिव की प्राप्ति हो जाए विशेष प्रेम एवं लालसा है व सम्पूर्ण शास्त्रों के सिद्धांत से संपन्न तथापि वे वाचन किया था मोनिका का उपदेश पाकर पड़े आदर्श सच में चौके पर अब हित का साधन यह शिव पुराण परम उत्तम शास्त्र है इसे इस भूतल पर भगवान शिव का बागमा स्वरूप समझना चाहिए

Shiv Puran ki kahani in Hindi Part 2


Shiv Puran Ki Kahani In Hindi

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पूर्व समझ ली है सूची कलयुग में इस कथा के द्वारा कौन कौन से बात विशुद्ध होते हैं उन्हें कृपापूर्वक बताएं और इस जगत को प्रधान कीजिये सूची बोले उन्होंने जो मनुष्य पापी दुराचारी खल तथा काम क्रोध आदि से निरंतर डूबे रहने वाले हैं वे इस पुराण के श्रवण पठन ही शुद्ध हो जाते हैं इस विषय में जानकर मुनि इस प्राचीन इतिहास का उदाहरण दिया करते हैं जिससे श्रवण मात्र से पापों का पूर्ण नाश हो जाता है से प्रमुख था वे स्नान संध्या आदि कर्मों से भ्रष्ट हो गया था और वेश्यावृत्ति तत्पर रहता था कोठा करता था परंतु उस पार्टी का थोड़ा सा भी धनकर ने धर्म काम नहीं लगा था लोग से प्रतिष्ठानपुर में जा पहुंचा की तू वहा उस ब्राह्मण को जोड़ा गया ब्राह्मण के मुखारविंद से निकली हुई उस शिव कथा को निरंतर सुनता रहा आए और पांचों में बांधकर बलपूर्वक यमपुरी ले गए

Shiv Puran Ki Kahani In Hindi Part 3

Shiv Puran Ki Kahani In Hindi

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 पर हम वस्तु का वर्णन करूँगा जिससे तुम्हें सदा सुख देने वाली उत्तम गति प्राप्त होगी शिव की उत्तम कथा सुनने से ही तुम्हारी बुद्धि इस तरह लक्ष्य तक संयुक्त एवं शुद्ध हो गई है निश्चित है वह वास्तव में पापों का प्रायश्चित करता हैं क्योंकि सत्पुरुषों ने समस्त पापों की शुद्धि के लिए ओपन हो जाता है हैं परंतु जिसे अपने कुक पर हाथ पश्चात प्राप्त होता है वह अवश्य उत्तम वृद्धि का भागी होता है इसमें संख्या नहीं है इस पुराण की कथा सुनने से की कथा शिक्षित अत्यंत शुद्ध हो जाता है रहते हैं इससे वह विशुद्धात्मा पुरुष यह यथोचित मार्ग में इसकी आराधना अर्थात् सेवा करनी चाहिए तथा को सुनकर फिर अपने हृदय में उसका मन करते हुए निधियाँ आशंका करना चाहिए इससे पूर्व चित शुद्ध हो जाती है

Shiv Puran Ki Kahani In Hindi Part 4


एक दिन परमानंद से निमग रोहित संतुलन में उमा देवी के पास जाकर प्रणाम किया और दोनों हाथ जोड़कर उनकी स्थिती करने लगे नंदनी इसके अंदर माताओं में मनुष्य सदा आपका सेवन किया है समस्त सुखों को देने वाली संपूर्ण प्रिय है आप ब्रह्मस्वरूप नहीं है और ब्रह्मादि देवताओं द्वारा से व्यय की संसार की सृष्टि पालन असहज करने वाले हैं अंतर था उनकी उत्तर प्रतिष्ठित करने वाली पराशक्ति आप ही है माँ की स्थिती करके सिर झुका चुप हो गए उसके नेतृत्व में चंचला को संबोधित करके बड़े प्रेम से इस प्रकार कहा सके चंचले सुधरी मैं तुम्हारी हुई इस प्रकार की स्थिती से बहुत प्रसन्न हूँ बोलू गति कैसे हुई  यह प्रपत्र के साथ हुआ है

Shiv Puran ki Kahani In Hindi Part 5

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Shiv Puran Ki Kahani In Hindi



वहाँ पे एक सूची आप को मेरा नमस्कार आप धन्य हैं शिवभक्तों में श्रेष्ठ है आपके महान गुणों का वर्णन करने योग्य है आप कल्याणेश्वर पुराण की स्वीटी भी बदलाई अब मैं तुम्हें सम्पूर्ण फल की प्राप्ति के लिए शुभ पुरानी श्रवण भी बता रहा हूँ लोगों के साथ बैठाकर बिना किसी विघ्न बाधा की कथा के समाप्त होने के उद्देश्य से शुद्ध मेहनत का अनुसंधान कर आए और प्रयत्नपूर्वक देश देश में स्थान स्थान पर संदेश भेजें कि हमारे यहाँ जब पुराण की कथा होने वाली है अपने कल्याण की इच्छा रखने वाले लोगों को उसे सुनने के लिए इस पर डालना चाहिए कुछ लोग भगवान श्री हरि की कथा से बहुत दूर पड़ गए हैं उन सब को भी सूचना हो जाए ऐसा प्रबंध करना चाहिए देश देश में जो भगवान शिव का भक्त हो गया है शिवकथा कि कीर्तन तथा श्रवण के लिए उत्सुक हो (Indecipherable or mute audio) (Indecipherable or mute audio) (Indecipherable or mute audio) भगवान शिव के प्रति सभी प्रकार से उत्तम भक्ति करनी चाहिये वही सप्ताह से आनंद का विधान करने वाली है परमात्मा भगवान शंकर के लिये देवी आशंका निर्माण करना चाहिए तथा कथावाचक के लिए भी एक ऐसा देवी आसान बनाना चाहिए जो उनके लिए सुखद हो उन्हें नियमपूर्वक कथा सुनने वाले श्रोताओं के लिए भी यह योग संस्थानों की व्यवस्था करनी चाहिये अन् य लोगों के लिए साधारण स्थानीय रखनी चाहिए जिसके मुख से निकली हुई वाणी देहधारियों के लिए काम दोनों की समान


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